विकसित भारत एवं नारी शक्ति की प्रासंगिकता

Authors

  • पुष्पा सिंह असि0 प्रोफेसर (शिक्षाशास्त्र विभाग)ए कमला आर्य कन्या पी0जी0 कालेज, मीरजापुर (उ0प्र0), भारत

DOI:

https://doi.org/10.5281/zenodo.17341229

Keywords:

भारतीय नारी, विकसित भारत, महिला नेतृत्व, भारतीय संस्कृति, महिला सशक्तिकरण

Abstract

भारतीय नारी की प्राचीन काल से ही अपनी स्पष्ट पहचान रही है, जिसमें न केवल सुन्दरता रही है, बल्कि उसकी सादगी, विनम्रता एवं बुद्धिमता आदि गुणों का भी समावेशन सदैव से ही रहा है। अपाला, घोषा, सीता, लोपमुद्रा आदि अनेक भारतीय नारियों ने न केवल अपने परिवार में बल्कि देश व समाज के प्रत्येक क्षेत्र व स्तर में अपनी भूमिका एवं नेतृत्व को उच्च शिखर पर स्थापित किया। भारतीय नारियां आज आसमान की ऊंचाईयां एवं पर्वतों के शिखर को छू रही हैं, जिसका कारण हमारी प्राचीन भारतीय संस्कृति एवं परम्परा में नारी को सदैव सम्मानित स्थान प्रदान करना रहा, जिससे इसकी नींव मजबूत एवं बुलन्द हुई। इसलिए भारत में प्राचीन समय से यह परम्परा रही है- ‘‘यत्र नार्यस्तु पूज्यंते रमते तत्र देवता।’’ अर्थात् जहां नारियों की पूजा होती है, वहां देवता का वास होता है। परन्तु महिलाएं आज के समय में विज्ञान, प्रौद्योगिकी, कला, साहित्य, संस्कृति, मीडिया आदि सभी क्षेत्रों में न केवल भागीदारी कर रही है, बल्कि नेतृत्व भी कर रही है।
यदि महिला शक्ति की नेतृत्व क्षमता अपनी सम्पूर्णता एवं सामंजस्यता के साथ शामिल हो जायें तो 2047 के विकसित भारत की योजना को साकार रूप लेने में कोई वाह्य या आंतरिक बाधा स्वतः अपने कदम पीछे खींच लेगी, क्योंकि यह भारत की नारी है, शक्ति है, दुर्गा है, लक्ष्मी है। यह अपाला है, घोषा है, सीता है, सावित्री है, इन्दिरा है, सरोजिनी नायडू है, महान गणितज्ञ शकुन्तला है, द्रौपदी मुर्मु है, रसोई घर में पूरी बनाने से प्रेरित होकर मंगल मिशन को सफल बनाने वाली महिला वैज्ञानिक तारा शिन्दे है।
महिलाओं को किसी भी क्षेत्र में कम आंकने का अर्थ है, खुद को कम आंकना। भारत को कम मानना एवं भारत को विकसित भारत बनने में अवरोध उत्पन्न करना। नारी भारत को महाशक्ति के रूप में स्थापित करने में नेतृत्व करने के लिए उड़ान भरने को तैयार है, जिसके पंखों को कहीं से भी क्षति न पहुंचाने का संकल्प हम भारतीयों को लेकर 2047 के विकसित भारत अभियान को सफल बनाने में योगदान देना है।

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Published

2025-10-13

How to Cite

सिंह प. (2025). विकसित भारत एवं नारी शक्ति की प्रासंगिकता. International Journal of Science and Social Science Research, 3(3), 29–32. https://doi.org/10.5281/zenodo.17341229
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