भारतीय समाज में महिला सशक्तिकरण एवं आरक्षण नीति

Authors

  • अमित कुमार जायसवाल शोध छात्र, शिक्षाशास्त्र विभाग, राजा श्रीकृष्ण दत्त स्नातकोत्तर महाविद्यालय, जौनपुर
  • मयानन्द उपाध्याय विभागाध्यक्ष- शिक्षाशास्त्र विभाग राजा श्रीकृष्ण दत्त स्नातकोत्तर महाविद्यालय, जौनपुर

DOI:

https://doi.org/10.5281/zenodo.13379467

Keywords:

समाज, महिला आरक्षण, आरक्षण

Abstract

मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। समाज को पूर्ण विकसित बनाने में स्त्री एवं पुरुष दोनों का योगदान होता है। स्त्री एवं पुरुष जीवन-रूपी रथ के दो पहिए हैं। दोनों के सहयोग के बिना व्यक्ति, समाज एवं राष्ट्र का विकास सम्भव नहीं है किन्तु आज भारतीय समाज में जब हम महिला सशक्तिकरण के विषय में सोचते है तो इस पुरुष प्रधान समाज में स्त्री को द्वितीय श्रेणी में रखने की मानसिकता दिखाई देती है। जहाँ तक स्त्री एवं पुरूष का प्रश्न है दोनों ही एक दूसरे के पूरक होते हैं, अतः स्त्री शिक्षा समाज को सही दिशा देने के लिए उतनी ही आवश्यक है जितना पुरुष की शिक्षा। एक शिक्षित पुरुष केवल स्वयं शिक्षित होता है जबकि एक स्त्री दो परिवारों को शिक्षित करती है। बालक की शिक्षा का प्रारम्भ भी माता की गोद से ही होता हैं। कहा भी गया है कि माता बच्चे की प्रथम शिक्षिका होती है। किसी भी समाज अथवा राष्ट्र में स्त्री-पुरुष दोनों की शिक्षा का बड़ा महत्व होता है। शिक्षा के अभाव में व्यक्ति, समाज अथवा राष्ट्र किसी का भी विकास नहीं हो सकता। शिक्षा एक सामाजिक प्रक्रिया है अतः समाज में शिक्षा का सर्वाधिक महत्व होता है। राष्ट्र के विकास के सन्दर्भ में नेपोलियन ने कहा है, ‘‘तुम मुझे एक शिक्षित नारी दो तो मैं तुम्हें अच्छा राष्ट्र दूँगा।‘‘

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Published

2023-09-30

How to Cite

जायसवाल अ. क., & उपाध्याय म. (2023). भारतीय समाज में महिला सशक्तिकरण एवं आरक्षण नीति. International Journal of Science and Social Science Research, 1(2), 171–174. https://doi.org/10.5281/zenodo.13379467
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