भारतीय एक्ट ईस्ट नीति और आसियान: इंडो-पेसेफिक क्षेत्रीय साझेदरी के निर्माण के विशेष सन्दर्भ में
DOI:
https://doi.org/10.5281/zenodo.13375589Keywords:
एक्ट ईस्ट पालिसी, आसियान, इंडो-पेसेफिक भू-राजनीति, भारत-आसियान सम्बंधAbstract
विगत वर्षो में यदि भारतीय सुरक्षा नीति की बात कि जाये तो पिछले कुछ दशकों से भारत की सुरक्षा चिंताओं में काफी बदलाव आया है| 1990 के दौरान “पूर्व की ओर देखों नीति” (एलईपी) के निर्माण के साथ ही एक क्षेत्रीय इकाई के रूप में आसियान एक आवश्यक घटक के रूप में उभरा है| सन 2014 में भारत की एक्ट ईस्ट पालिसी में बदलाव के साथ और अधिक व्यापकता भी देखने को मिलती है| यदि वैश्विक सुरक्षा और आर्थिक वातावरण में भी अमेरिका के पीछे हटने, चीन की आक्रमक स्थिति और बेल्ट एण्ड रोड इनिशिएटिव के साथ ही साथ ‘इंडो पेसेफिक’ के भू-राजनीतिक निर्माण के साथ विशिष्ट बदलाव देखाई पड़ते है| क्षेत्रीय हितधारकों जैसे- आसियान, यूएसए, जापान, आस्ट्रेलिया और भारत अभी तक इंडो-पेसेफिक क्षेत्रीय निर्माण की अवधारणा के साथ क्षेत्रीय सुरक्षा संरचना पर एक जैसा रुख नहीं अपना पायें है, यदि भारतीय एक्ट ईस्ट पालिसी की बात की जाये तो यह वर्तमान परिद्रश्य में एकदम सही सिध्द होती है क्योंकि भारत आसियान की केन्द्रीयता को बरकरार रखते हुये क्षेत्रीय सुरक्षा की एक बड़ी भूमिका निभाने के लिए तैयार है| भारतीय विदेश नीति, भारत-प्रशांत क्षेत्र में आपसी विकास के लिए एक अंतर्राष्ट्रीय संघ तैयार करना चाहती है और नियम आधारित आदेश की खोज में एक विचारधारा वाले देशों जो पारदर्शिता, संप्रभुता और अंतर्राष्ट्रीय कानून, स्थिरता और मुक्त व्यापार ढांचे के लिए सम्मान को बढावा दें| इसी भू-राजनीतिक क्षेत्रीय निर्माण की एवं अंतर्राष्ट्रीय देशों के संग साझेदारी को ध्यान में रखते हुये यह शोधपत्र लिखा गया है जिसका प्रमुख उद्देश्य भारतीय एक्ट ईस्ट पालिसी और भारत-प्रशांत क्षेत्रीय निर्माण की साझेदारी का वर्तमान परिदृश्य में अध्ययन करना है| प्रस्तुत शोधपत्र द्वितीय आंकड़ो पर आधारित है जिसकी शोधविधि वर्णात्मक एवं विवरणात्मक है|
Downloads
Published
How to Cite
Issue
Section
License
Copyright (c) 2023 International Journal of Science and Social Science Research (ISSN: 2583-7877)

This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial 4.0 International License.